होली के अवसर पर दो गीत✍️
होली के अवसर पर दो गीत✍️उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
साली बिन ससुराल अधूरी,किससे होली मिलने जाएँ
जो पहले से पुते हुए हों, सालों पर क्या रंग लगाएँ ।
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साली नहीं सलैज भी सही, गोरी हो चाहे वह काली
उससे ही अब खेलें होली, वह भी लगती है मतवाली
जब वह नंदोई को चाहे, तो क्या कर लेगी घरवाली
होली में घायल कर बैठी, अब उसके होठों की लाली
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हम उसके सपनों में खोए, कैसे घर पर वापस आएँ
जो पहले से पुते हुए हों, सालों पर क्या रंग लगाएँ।
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मिला बहाना अब होली का, दूर हुई अपनी लाचारी
जाने कब से पापड़ बेले, अब आयी मिलने की बारी
होली पर जो अपनी हो ली, लगे दूसरों को वह न्यारी
अपने मन में बसी हुई है, लगती है अब इतनी प्यारी
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घर वाली से हुई लड़ाई, कैसे आज तनाव भगाएँ
जो पहले से पुते हुए हों, सालों पर क्या रंग लगाएँ।
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बद अच्छा बदनाम है बुरा, काम हो रहे चुपके चोरी
बचा रहे सम्मान हमारा, नहीं करें हम सीना जोरी
दारू का जो रोग लगा है, उसका नहीं इलाज कहीं पर
प्रेम रोग भी साथ लगे तो, उसको भुगतें आज यहीं पर
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पीकर नाली में जो लोटे, कुत्ते उस पर टाँग उठाएँ
जो पहले से पुते हुए हों,सालों पर क्या रंग लगाएँ।
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गीत -✍️उपमेन्द्र सक्सेना एडवोकेट
जिनके कपड़े फटे हुए हैं, कब तक वे पेबन्द लगाएँ
नंगे- भूखे लोग किस तरह, होली का त्योहार मनाएँ।
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कोई तो पकवान खा रहा, और किसी के होते फाँके
जो आँसू पीकर रह जाते, किसको पड़ी उस तरफ झाँके
हाय स्वार्थी इतनी दुनिया, केवल अपने को ही आँके
जिसका बच्चा भूखा सोए, टूटे सपने ऐसी माँ के
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होली गम से जुड़ी हुई है, बोलो कैसे हम मुस्काएँ
बोलो हुल्लड़बाजी करने, आज यहाँ किसके घर जाएँ।
नंगे- भूखे लोग.....
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बनीं योजनाएँ सरकारी, लेकिन वे सब लगतीं न्यारी
कई महीने चक्कर काटे, राम दुलारी उनसे हारी
तिकड़म के ताऊ के कारण, मची यहाँ पर मारामारी
दूध मलाई खाने वालों, तुमको क्यों दौलत है प्यारी
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जिनके घर की छत टूटी है, बोलो अब कैसे बनवाएँ
पैसा पास नहीं है उनके, जैसे- तैसे समय बिताएँ।
नंगे- भूखे लोग.....
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जिनकी चौपट हुई कमाई, उनकी याद किसे है आई
कितने होली की मस्ती में, करते देखे यहाँ लड़ाई
बसी बुराई जिनके दिल में, वे कैसे अब करें भलाई
भोले-भाले लोगों की क्यों,गयी यहाँ पर नींद उड़ाई
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करें रंग में भंग यहाँ जो, नहीं किसी से वे घबराएँ
मिला बहाना अब होली का, जिसको चाहें उसे सताएँ।
नंगे- भूखे लोग.....
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रचनाकार ✍️-उपमेन्द्र सक्सेना एडवोकेट
'कुमुद- निवास'
बरेली (उ. प्र.)
मोबा. नं.- 98379 44187
दैनिक आज, बरेली में प्रकाशित
Renu
07-Mar-2023 04:54 PM
👍💐🎨
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Sant kumar sarthi
06-Mar-2023 11:57 AM
सुंदर
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
05-Mar-2023 09:36 PM
बहुत खूब
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